Antim Vidhi Services
प्रथम दिन की क्रिया
जिसमें क्रम से शरीर-शुद्धि, पिण्ड-दान, दाह-सँस्कार और कपाल-क्रिया होती है। सबसे पहले ज्येष्ठ पुत्र या जो भी क्रिया करे वो मुण्डन करवाते हैं । तत्पश्चात स्नान कर श्वेत वस्त्र पहनते हैं । फिर शुद्ध जल में गँगाजल मिलाकर मृतक को स्नान करवाया जाता है। मृतक को गँगामाटी का तिलक किया जाता है। मृतक के मुँह में चरणामृत, गँगाजल, तुलसी-पत्र, सोना और पँच-रत्न डाले जाते है। जौ के आटे के पाँच पिण्ड दान दिये जाते है। पहला पिण्ड मृत स्थान पर, दूसरा घर के द्वार पर, तीसरा चौराहे पर, चौथा विश्राम स्थान पर और पाँचवा चिता स्थान पर दिया जाता है। दूसरे पिण्ड दान के पश्चात सभी रिश्तेदार शव की परिक्रमा करके शव को कन्धों पर रख कर अन्तिम यात्रा पर निकल पड़ते हैं। विश्राम स्थान पर मृतक के चारों ओर जल की धारा दी जाती है। काष्ट की परिक्रमा करवा कर मृत देह को चिता पर लिटा दिया जाता है। फिर अग्नि में दाह-सँस्कार किया जाता है। अर्द्ध दाह होने पर नारियल से कपाल क्रिया की जाती है। दाह पूर्ण होने पर सभी रिश्तेदार चिता में काष्ट देते हैं और स्नान करते हैं। श्मशान से वापसी पर जल व नीम की पत्तियाँ लाई जाती है। जल से घर में छिड़काव होता है और भोजन से पहले नीम की पत्तियाँ चबाई जाती है।तीसरे दिन की क्रिया
तीसरे दिन अस्थि सन्चय का कार्य किया जाता है।
जिसमें चावल के पिण्ड से एकोदिष्ट श्राद्ध, अस्थि-सन्चय, अस्थि पूजन और काक बलि आदि क्रियायें होती है।
सबसे पहले चिता को दूध व जल से प्रोक्षित किया जाता है ।
उसके बाद अस्थियों को चुन लिया जाता है।
अस्थियों की पूजा करके उन्हें रेशमी थैली में रख दिया जाता है।
फिर एकोदिष्ट श्राद्ध किया जाता है।
भस्म को चिता स्थान पर इकट्ठा कर जल के खुले मुँह वाले कलश से मधुर बलि दी जाती है।
उसके पश्चात काक बलि दी जाती है ।
कार्य सम्पन्न होने पर अस्थियों को तीर्थ जल में प्रवाहित किया जाता है।
तीसरे दिन मध्यान्ह पश्चात तीये की बैठक की जाती है।
तीसरे दिन से लेकर दसवें दिन तक साँयकाल में गरूड़ पुराण या श्री मद्भगवत गीता के प्रवचनात्मक पाठ किये जाते हैं।
दसवें दिन की क्रिया
दसवें दिन दशगात्र विधान होता है।
जिसमें नौ पिण्ड जौ के आटे के व दसवाँ पिण्ड उड़द के आटे का बनता है।
इन दस पिण्डों से अवयव श्राद्ध किया जाता है और काकबलि दी जाती है।
ग्यारवें दिन की क्रिया
ग्याहरवें दिन नारायण बलि कर्म किया जाता है।
जिसमें श्री विष्णु पूजा, हवन, तर्पण और मध्यम षोडश व उत्तम षोडश श्राद्ध किया जाता है।
ब्राह्मणों द्वारा विष्णु भगवान के स्तोत्रों के पाठ भी किये जाते हैं।
सबसे पहले शालिग्राम विग्रह की पूजा व तर्पण किया जाता है।
फिर ब्रम्हाजी, विष्णुजी, शिवजी, यमराज व प्रेत की पूजा और वैदिक मन्त्रों से तर्पण किया जाता है।
उसके बाद प्रायश्चित हवन होता है।
पीपल के वृक्ष में पूरे वर्ष के दिनों के अनुसार जलाञ्जलियाँ दी जाती है।
तत्पश्चात सोलह पिण्डों से मध्यम षोड़स श्राद्ध व सोलह पिण्डों से उत्तम षोडस श्राद्ध किया जाता है।
अन्त में महाब्राह्मण को भोजन करवाया जाता है।
महाब्राह्मण को मृतक द्वारा उपयोग लिये गये पाँच बर्तन और एक जोड़ी कपड़े दक्षिणा सहित दिये जाते हैं।
बारहवें दिन की क्रिया
बारहवें दिन प्रथम चरण में मृतक को स्व पितृ पँक्ति में सम्मिलित करने हेतु
सपिण्डी श्राद्ध किया जाता है एवं पञ्चग्रासी दी जाती है।
द्वितीय चरण में गँगा उद्यापन किया जाता है।
तत्पश्चात तेरह ब्राह्मणों को भोजन करवा कर पददान दिया जाता है।
इसके बाद शय्यादान कार्य होता है।
फिर गरूड़ पुराण या गीता का महात्म्य किया जाता है।
मृतक स्त्री थी तो कार्य यहीं पूर्ण हो जाता है।
मृतक पुरुष थे तो ज्येष्ठ पुत्र के पगड़ी बाँधने का विधान (राज्याभिषेक) होता है।
विशेष
प्रथम दिन से लेकर दसवें दिन तक परिजनों को तेल-साबुन आदि वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिये
क्रिया कर्ता को बारह दिन तक सात्विक जीवन बिताना चाहिये
क्रिया कर्ता द्वारा प्रथम दिन पहने हुये सफेद वस्त्र सपिण्डी तक काम आते हाँ तो उन्हें फेंके नहीं
ये कतई आवश्यक नहीं है कि उपरोक्त सभी क्रियायें सभी के की जाये।
अपने परिवार के बुजुर्गों से मशविरा कीजिये।
जो क्रियायें आपके परिवार में सम्पादित होती रही हैं।
वो क्रियायें ही कीजिये।
संस्था द्वारा दी जाने वाली अन्य सुविधाएं
Antayashti Samagri (Items for Funeral Rites)
All the items required for the Funeral ritual will be provided, as per the religion & cast. The family will be not be burdened even to bring a match stick for the Funeral.
Vimukti Vahan (Ambulance/Hearse)
This service is required to shift the Deceased from Hospital to Home and later to the Crematorium for the final rites, which we shall do so.
Sevak(Manpower)
Antim Sanskar Seva Team will be with the family and shall look after all the arrangements to be done for the Funeral Rites, giving the family complete relief and time to be with the deceased loved one.
Registration at Cemetery & Death
Certificate Registration at the nearest Crematorium will be taken care of by Antim Sanskar Seva & also help for Death Certificate.
Bhataji/Pandit
Bhataji/Pandit 10th, 12th, 13th Shradha Vidhi Bhataji / Pandit/ Jangam will perform the Pooja as per the caste of the deceased, who will also guide and help the family for performing the rituals.
Immersion of Asthi
Asthi Immersion (Visarjan) will be done by Sukhant at Spirituals Places Trimbakeshwar, Varanasi, Triveni & Ganga etc.